hindisamay head


अ+ अ-

कविता

कचालोव के कुत्ते के लिए

सेर्गइ येसेनिन

अनुवाद - वरयाम सिंह


ओ जिम! दे ना मेरे हाथ तू अपना पंजा,
ऐसा पंजा देखा नहीं मैंने जन्‍म से।
आ, भौंक ले दोनों मिलकर इस चाँदनी में
इस शांत खामोश मौसम पर।
अरे जिम! दे ना मेरे हाथ अपना पंजा!

कृपा कर, इतना न चाट मुझे
कोशिश तो कर मामूली-सी यह बात समझने की -
तुझे तो पता नहीं क्‍या होती है जिंदगी
कितनी चुकानी पड़ती है कीमत जिंदा रहने की।

दयालु हैं तेरे मालिक और मशहूर भी,
आते रहते हैं बहुत मेहमान उनके यहाँ।
तेरे मखमली बालों का स्‍पर्श पाने की
मुस्‍कराते हुए करता है कोशिश हर कोई।

कुत्‍ते के रूप में अद्भुत सौंदर्य पाया है तूने
और साथ में इतना भोलापन!
किसी ने तनिक भी पूछे बिना
शराबी यार की तरह लपक पड़ता है चूमने।

प्‍यारे जिम! देख तेरे मेहमानों में
लोग होते हैं छोटे-बड़े हर तरह के,
पर वह जो सबसे ज्यादा उदास और खामोश है
क्‍या उसका भी यहाँ आना हुआ है कभी?

आ शर्त लगाते हैं - वह आयेगी
मेरे न होने पर तू झाँकना उसकी आँखों में।
मेरे बदले तू चूमना उसके नाजुक हाथ,
क्षमा माँगना उसके लिये जिसमें मेरा दोष रहा हो या नहीं भी।

 


End Text   End Text    End Text